गयनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिवानी सचदेव गौर इंडियन सोसाइटी ऑफ़ असिस्टेंड रिप्रेजेन्टेटिव की सचिव है, वो कहती है, "यह घिनौनी घटना है" ये लोग किस मानसिकता के साथ रह रहे है? उन दिनों में कुछ भी गन्दा नहीं होता लेकिन पीरियड्स को लेकर टैबू सदियों से हर समाज में रहा है| बल्कि यह कई देशो में एक सामान रूप से जारी है. लड़कियों के लिए इसे शर्मनाक बना दिया गया है, उन्हें लगता है की अगर कोई पीरियड्स का कपडा देख लेगा तो गलत होगा| हाईजीन न होने से कितनी ही लड़कियों को इन्फेक्शन हो जाता है| मेडिकली देखे तो यूट्रस की लाइनिंग ब्रेकडाउन हो जाती है, और ब्लड बाहर आ जाता है| यह 10-14 साल में सुरु होता है और हर लड़की को करीब 5-7 दिन इससे गुजरना पड़ता है|
इसमें कोई काला जादू नहीं है, इससे कोई डरने जी जरुरत नहीं है की उन्हें किसी कमरे में बंद कर दिया जाये| अगर लोग उनको इसलिए अलग रखते है की उनको आराम दिया जाये तो यह सोच लड़कियों पैर बहुत भारी पड़ रहा है क्योकि इसमें पॉजिटिव बहुत कम हो रहा है|
लड़कियों को यह बताया जाना चाहिए की अपने प्राइवेट पार्ट्स की सफाई रखे, हाईजीन का ख्याल रखे और आम दिनों की तरह नहाये और साबुन का इस्तेमाल करे|
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